बिखरी हुई यादों को सहेजने
की कोशिश करता हूँ,
उन लम्हों को आँखों में समेटने
की कोशिश करता हूँ,
डर है, कहीं दूर ना हो जाऊं मैं
उन यादों से कभी,
शायद इसीलिए कभी कभी उन
जख्मो को कुरेदने की कोशिश
करता हूँ!!
उन यादों में मेरे बीते हुए कल
छुपे हैं,
कुछ खुशियों के, कुछ ग़मों के
गंगाजल छुपे हैं,
कितना सुकून था रोने में
भी अपनों के साथ,
बस इसलिए उन
अश्कों को पलकों में समेटने
की कोशिश करता हू!!
वो बचपन की तुतलाती अठखेलिय,
अनसुलझी पहेलियाँ,
गिरकर संभालना और छिली हुई
वो हथेलियाँ,
फिकर नहीं जमाने की कोई, बस
खुशियाँ बिखेरना,
कल्पना कर उन बातों की फिर से
मुस्कुराने कीकोशिश करता हूँ!!
बस्ते का बोझ बेफिक्र उठाकर
चलते थे,
अम्मां के आँचल में दिल खोलकर
सिसकते थे,
धुल में, मिटटी में, हर शाम
हुरदंग करते थे,
तन्हाई में फिर से वो तस्वीरे
उकेरने की कोशिश करता हू!!
पिछली बेंच पर बैठ
लड़कियां तारना लेक्चरों में,
फिल्मे देखने के लिए अक्सर
ही क्लास बंक करना,
छुप छुप कर कभी सिगरेट
तो कभी शराब की शोहबत,
हर चौराहे पर आज भी खुद
को दोस्तों के साथ तलाशने
की कोशिश करता हू!!
इश्क, प्यार, मुहब्बत
की बातों में खुशियाँ ढूंढते
थे,
दिल टूटने का गम भी चुप चाप
पिया करते थे,
झगरकर भी पास रहते थे
दोस्तों के,
आज भी वो बाते याद कर उन्हें
महसूस करने की कोशिश करता हू!!
जानता हू के कभी लौटकर
नहीं आयेंगे वो पल कभी,
इसीलिए हर एक लम्हों को दिल
में छुपाने की कोशिश करता हू,
हर एक जख्म से कुछ
पुरानी यादें जुडीहैं,
बस इसलिए कभी कभी उन
जख्मो को कुरेदने की कोशिश
करता हू!!!!
कुंदन विद्यार्थी.
Monday, 19 August 2013
कोशिशे
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