Monday 19 August 2013

उड़ चलें

पंछियों की तरह,
उड़ चलें आसमां में,
दूर तक है जहाँ पे,
न कोई बंदिशें.
एक नीले गगन पे,
बादलों का समंदर,
न कोई सरहदें हैं,
अपना सा सब लगे.
देखता हू ज़मीन पर,
रास्ते हैं कई,
हर डगर पे चलने की,
इजाजत नहीं.
है यहाँ पे दीवारें,
वाहन कांटे बिछे हैं,
रुक गए ये कदम हैं,
अब मैं जाऊं कहाँ.
काश! होता अगर,
मैं अहवा की तरह,
बांटता सबको खुशियाँ,
मैं यहाँ से वहाँ.
पंछियों की तरह,
उड़ चलें आसमां में,
दूर तक है जहाँ पे,
न कोई बंदिशें.
बनाने वाले ने तो,
एक जहाँ बनाया था,
लकीरें खीचकर हमने,
उसका दिल तोड़ दिया.
है दुआ मेरी रब से,
बचाना तू आसमा वालों को,
उस नीले समंदर पे,
ना कभी हो सरहदें.
पंछियों की तरह,
उड़ चलें आसमां में,
प्यार हो बस जहाँ पर,
ना कभी हो नफरतें,
ना कोई हो दीवारें,
ना कोई सरहदें हो,
एक नीला गगन हो,
अपने ही सब जहाँ हो.
ना हो कुछ भी हमारा,
ना हो कुछ भी तुम्हारा,
एक ऐसा जहाँ हो,
हो जहाँ सिर्फ अपना.
हो अमन चैन खुशियाँ,
और खुशियाँ ही खुशियाँ,
खुशियाँ ही खुशियाँ,
और खुशियाँ ही खुशियाँ.
कुंदन विद्यार्थी.

कोशिशे

बिखरी हुई यादों को सहेजने
की कोशिश करता हूँ,
उन लम्हों को आँखों में समेटने
की कोशिश करता हूँ,
डर है, कहीं दूर ना हो जाऊं मैं
उन यादों से कभी,
शायद इसीलिए कभी कभी उन
जख्मो को कुरेदने की कोशिश
करता हूँ!!
उन यादों में मेरे बीते हुए कल
छुपे हैं,
कुछ खुशियों के, कुछ ग़मों के
गंगाजल छुपे हैं,
कितना सुकून था रोने में
भी अपनों के साथ,
बस इसलिए उन
अश्कों को पलकों में समेटने
की कोशिश करता हू!!
वो बचपन की तुतलाती अठखेलिय,
अनसुलझी पहेलियाँ,
गिरकर संभालना और छिली हुई
वो हथेलियाँ,
फिकर नहीं जमाने की कोई, बस
खुशियाँ बिखेरना,
कल्पना कर उन बातों की फिर से
मुस्कुराने कीकोशिश करता हूँ!!
बस्ते का बोझ बेफिक्र उठाकर
चलते थे,
अम्मां के आँचल में दिल खोलकर
सिसकते थे,
धुल में, मिटटी में, हर शाम
हुरदंग करते थे,
तन्हाई में फिर से वो तस्वीरे
उकेरने की कोशिश करता हू!!
पिछली बेंच पर बैठ
लड़कियां तारना लेक्चरों में,
फिल्मे देखने के लिए अक्सर
ही क्लास बंक करना,
छुप छुप कर कभी सिगरेट
तो कभी शराब की शोहबत,
हर चौराहे पर आज भी खुद
को दोस्तों के साथ तलाशने
की कोशिश करता हू!!
इश्क, प्यार, मुहब्बत
की बातों में खुशियाँ ढूंढते
थे,
दिल टूटने का गम भी चुप चाप
पिया करते थे,
झगरकर भी पास रहते थे
दोस्तों के,
आज भी वो बाते याद कर उन्हें
महसूस करने की कोशिश करता हू!!
जानता हू के कभी लौटकर
नहीं आयेंगे वो पल कभी,
इसीलिए हर एक लम्हों को दिल
में छुपाने की कोशिश करता हू,
हर एक जख्म से कुछ
पुरानी यादें जुडीहैं,
बस इसलिए कभी कभी उन
जख्मो को कुरेदने की कोशिश
करता हू!!!!
कुंदन विद्यार्थी.

तेरी तलाश में


तेरी तलाश में है दिल,
तेरी ही आश लिए है,
मगर न जाने छुप गयी,
है तू कहाँ.....
बहुत ही बेचैन है,
बस एक नज़र को तेरी,
मगर न जाने छुप गयी,
है तू कहाँ......
मैं तुमको प्यार करूँ कितना,
तुझे खबर ही नहीं,
मगर यकीं है मुझे इतना,
के तू मिलेगी कहीं,
सदा ही साथ रहू तेरे,
यही तमन्ना है,
मगर न जाने छुप गयी,
है तू कहाँ.....
तुझे ही सोचता हू मैं हरपाल,
तेरा ही इन्तेज़ार करूँ,
बिना तेरे अब मैं एक पल भी,
न जियूं न मरुँ,
तू ही है जिंदगी मेरी,
जियूं मैं तेरे लिए,
मगर न जाने छुप गयी,
है तू कहाँ.....
कुंदन विद्यार्थी.

दर्द और मुस्कराहट


आज खुद को,
कितना लाचार महसूस करता है,
कितना बेबस सा,
और बेसहारा सा लगता है,
सबकुछ,
बेमाना सा लगता है,
क्यूँ मुझे आज,
हर अपना बेगाना सा लगता है.
कुछ उलझा हुआ सा,
खुद ही खुद में रहता है,
नासमझ है ये,
हर वक्त खफा सा रहता है,
चाहता है बहना,
स्वछन्द दरिया की तरह,
न जाने फिर भी,
क्यूँ खुद में बंधा सा रहता है.
ग़मों की भीर में,
तन्हा खड़ा,
लड़खराता हुआ,
चोट सहता रहा,
ना जाने इस,
अँधेरे रास्ते पर,
किस मंजिल की तरफ,
यूँही चलता चला जा रहा है.
कुछ गुबार,
दबा रखें हैं इसने,
आंसुओं के सैलाब,
छुपा रखें हैं शायद,
शायद इसके लफ्ज,
कुछ कहना चाहते हैं,
पर क्यूँ,
हर वक्त ये
सहमा सहमा सा रहता है.
नहीं समझ पाया,
मैं खुद,
अपने दिल का,
मुस्कुराता हुआ सा ये चेहरा,
जाने क्या हुआ है इसको,
जाने क्यूँ ये ऐसा रहता है,
जाने कौन सा दर्द,
मुस्कराहट बनके इसके लबों पे
पड़ा सा रहता है.
कुंदन विद्यार्थी.

लाचार दिल

लाचार दिल
आज खुद को,
कितना लाचार महसूस करता है,
कितना बेबस सा,
और बेसहारा सा लगता है.
सबकुछ,
बेमाना सा लगता है,
क्यूँ मुझे आज,
हर अपना बेगाना सा लगता है.
कुछ उलझा हुआ सा,
खुद ही खुद में रहता है,
नासमझ है ये,
हर वक्त खफा सा रहता है.
चाहता है बहना,
स्वछन्द दरिया की तरह,
फिर न जाने क्यूँ,
खुद में बंधा बंधा सा रहता है.
ग़मों की भीड़ में,
तन्हा खड़ा,
लड़खराता हुआ,
चोट सहता रहा,
ना जाने इस,
अँधेरे रास्ते पर,
किस मंजिल की तरफ,
यूँही चलता चला जा रहा है.
कुछ गुबार मन में,
दबा रखे हैं इसने,
आंसुओ के सैलाब,
छुपा रखे हैं शायद,
शायद इसके लफ्ज,
कुछ कहना चाहते हैं,
पर क्यूँ,
हर वक्त सहमा सहमा सा रहता है.
नहीं समझ पाया,
मैं खुद ही,
अपने दिल का,
मुस्कुराता हुआ सा चेहरा,
जाने क्या हुआ है इसको,
'जाने क्यूँ ये ऐसा रहता,
जाने कौन सा दर्द,
मुस्कराहट बनके इसके लबों पे
पड़ा सा रहता है.
कुंदन
विद्यार्थी

Sunday 4 August 2013

शुभकामनाएं

मैं हूँ और तारे हैं,
सुन्दर से नज़ारे हैं,
भीगी सी टहनियों पे,
खिलते फूल सारे हैं,
बादल की बूँदें भी,
उतरेंगी ज़मी पर आज,
इठलाती बलखाती,
सारी बहारें हैं ||

सबकी है नज़र तुमपर,
गुमशुम हो कहाँ तुम, पर,
आज फिर नाराज हो अगर,
माफ़ी दो, सारे हैं,
ना केक है न गिफ्ट है,
होंठो पे दुआएं हैं,
तुमको हसानें की,
हर कोशिश लाये हैं||

सब ही सब गाते हैं,
रौशनी जलाते हैं,
हम तेरी राहों को,
फूल से सजाते हैं,
सतरंगी सपनों को,
तेरे लिए लाये,
तेरे लिए हम सब,
खुशियाँ बुलाते हैं||

ना पार्टी मांगे हम,
ना ही कुछ और चाहें,
मुस्कान तेरे लबों पे,
हम सारे चाहे हैं,
शायद बेगाने हैं,
पर तेरे दीवाने हैं,
टूटकर भी खुशियाँ दे तुझे,
हम तो वो तारे हैं||

कुंदन विद्यार्थी