Tuesday 15 December 2015

चलोगी न?

कुछ लफ्ज़,
जो तुमने कभी कहे नहीं शायद,
पर मैंने सुना है तेरी आवाज को |
मैंने सुना है वो गीत,
जो तुम अक्सर गुनगुनाती हो,
कभी छुप के, कहीं मन में |
वो शब्द पढता हूँ अक्सर ही,
किसी कोरे कागज पर,
जो तुम निगाहों से ,
चाहे अनचाहे ही लिख जाती हो ,
मुझसे नज़र बचाकर,
खुद से नजर चुराकर |
ढूंढता हूँ तुम्हें,
तुममे, और तेरी याद में,
तेरे जाने के बाद,
के शायद मुझे तुम दिख जाओ,
के शायद मैं तुम्हें दिख जाऊं |
बस,
इसी उम्मीद में रहता हूँ,
के तुम छुपकर नहीं,
डरकर नहीं,
दिल से कुछ कहोगी,
कुछ लिखोगी जिसे मैं बार बार पढूंगा, 
जिसे सुनकर,
भूल जाऊंगा सब कुछ |
के शायद,
वो दिन आएगा,
जब तुम पल पल मुझे याद करोगी,
दूर रहकर भी हर पल मेरे साथ रहोगी,
मेरा हमसफ़र बनकर,
एक साए की तरह साथ चलोगी |
चलोगी न??????????

कुंदन विद्यार्थी 
(Image courtesy: Google)

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